द्विश्व का सर्वमान्य ग्रन्थ श्रीमद भगवत-गीता – (नये रूप में)
“गीता – दर्पण”
श्रीमद भगवत-गीता विश्व का सर्वमान्य ग्रन्थ है और इसकी अनेकों विद्वानों द्वारा कई भाषाओं में टीका भी की गई है भगवान कृष्ण ने महाभारत के युद्ध से पहले मोह ग्रसित अर्जुन को गीतारूपी जो आत्म-ज्ञान दिया जिससे अर्जुन का अपने परिजनों के प्रति मोह-भंग हो गया। गीता-उपदेश के पश्चात् ही
अर्जुन ने पुनः गाँडीव धारण करके सम्पूर्ण कौरवों का विनाश कर दिया था। भगवान कृष्ण ने अर्जुन के बहाने संसार को जो आत्म-ज्ञान दिया वही आज श्रीमद भगवत-गीता के रूप में प्रचलित है।
आत्म-ज्ञान समझने की चीज है पाठ करने की नहीं। आत्म-ज्ञान तभी प्राप्त होता है जब उसे समझा जाय। ‘शैदाजी’ने सम्पूर्ण भगवत-गीता को संस्कृत के बजाय सरल-हिन्दी के दोहा, चौपाइयों में सरल अर्थों सहित रचना करके “गीता-दर्पण” के नाम से प्रकाशित कर दिया है। जिस गीता को बड़े-बड़े विद्वान जीवन
भर पाठ करके भी समझ नहीं पाते उसी को अब साधारण हिन्दी पढ़ा सामान्य व्यक्ति भी गीता के आत्म-ज्ञान को आसानी से प्राप्त करके अपना जीवन धन्य कर सकता है। यदि इसको पढ़ कर कोई व्यक्ति यह कहे कि गीता मेरी समझ में नहीं आया तो संसार की कोई शक्ति उसको गीता नहीं समझा सकती।
इसलिये यदि आप भी श्रीमद भगवत-गीता के मार्मिक ज्ञान को प्राप्त करना चाहते हैं तो आज ही गीता-दर्पण मंगा कर पढ़ें और जीवन मुक्ति का आनन्द लें।