कायस्थ वंशावली

 

भगवान चित्रगुप्तजी के वंशज कायस्थ भाइयों !

यदि आध्यात्मिक रूप से देखा जाये तो संसार का प्रत्येक मनुष्य कायस्थ है। सभी कायस्थ बन्धु देवी माँ के उपासक माने गये हैं। देवी दुर्गामाँ का चरित्र (दुर्गा सप्तशती) इसका अकाट्य प्रमाण है। उसके नायक महाराज सुरथ चैत्रवंशी अर्थात् चित्रगुप्तजी के वंश के थे और उनका समस्त भूमण्डल पर राज्य था। सर्व प्रथम उन्हीं के द्वारा ‘दुर्गा सप्तशती’का प्रारम्भ हुआ था। भगवान चित्रगुप्तजी के बारहों पुत्रों की उत्पत्ति, विवाह और उनका कार्य तथा उनके निवास क्षेत्र की जानकारी ‘‘कायस्थवंशावली” में पढ़ें।

स्वामी विवेकानन्दजी भी कायस्थ ही थे। जिनकी प्रतिभा का सभी आज भी लोहा मानते हैं। अमेरिका में स्वामीजी से किसी ने पूछा कि आपके भारत में कितने कायस्थ हैं ? तब स्वामीजी ने उत्तर दिया कि यदि भारत से कायस्थ जाति को अलग कर दिया जाये तो शेष कुछ भी नहीं बचेगा। अर्थात् आज जो अनगिनत जातियाँ फैली हुई हैं सभी कालान्तर में कहीं न कहीं कायस्थ जाति से जुड़ी हुई हैं।

भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्रप्रसाद, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, हरिवंशराय बच्चन, मुंशी प्रेमचन्द, रघुपति सहायक ‘फिराक’गोरखपुरी, राजा नवलराय ‘काका’हास्य कवि बेढ़व बनारसी, के॰पी॰सक्सेना, अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा, सरोजनी नायडू, लाल बहादुर शास्त्री, हिन्दी की महान कवियित्री महादेवीजी
वर्मा आदि भारत की महान विभूतियाँ कायस्थ जाति की आभूषण हैं।

आज ही नौ दुर्गा पाठ छंदों वाली तथा कायस्थ वंशावली मंगा कर पढ़ें।

भगवान चित्रगुप्त का पूरे परिवार के साथ रंगीन फोटो भी साथ में उपलब्ध है।