महर्षि वेद-व्यास जी की उत्कृष्ट रचना
पाँचवाँ वेद सम्पूर्ण महाभारत (१८ पर्व)
हरिगीतिका छन्दों में महाकाव्य
जो लोग महाभारत के नाम से घबराते हैं वे भी अब इसे पढ़कर वह ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं जो उन्हें चारों वेद पढ़ने से भी प्राप्त नहीं हुआ होगा।
इस महाभारत की मुख्य विशेषता यह है कि इसमें सम्पूर्ण गीता अठारहों अध्याय अपने स्थान पर इस विशेषता के साथ दिया गया है कि जिस अध्याय में जितने श्लोक होंगे, उतने ही छंद होंगे। पूरे महाभारत की रचना पच्चीस हज़ार छन्दों में है। इतना सरल है कि पढ़ते समय किसी से कुछ भी पूछना आवश्यक नहीं जान पड़ता। बिना गीता के महाभारत को पढ़ना तो दूर घर में रखना भी किसी दुर्घटना को दावत देने के समान है। यह भी चित्र-काव्य है अर्थात् पढ़ते समय टी. वी. देखने जैसा आनन्द प्राप्त होता है।
मोटी-मोटी दो जिल्दों में सम्पूर्ण महाभारत एक बार अवश्य पढ़ें।