असली आल्हाखंड
भारतीय वीरों की शौर्यगाथा‘शैदाजी’ रचित असली आल्हाखंड २५ लड़ाई ५२ गढ़ विजय कन्नौज के राजा जयचन्द्र की पुत्री संयोगिता का अपहरण दिल्ली के शासक पृथ्वीराज चौहान ने कर लिया था। उसका बदला लेने के लिए पृथ्वीराज और जयचन्द्र के बीच घमासान युद्ध हुये।
आल्हा, ऊदल, मलखान, सुलखान आदि राजा जयचन्द की सेना के अत्यन्त बलशाली वीर थे। उन्होंने किस प्रकार पृथ्वीराज का मुकाबला किया और विजय पाई। इसका वर्णन इसमें दिया गया है। संयोगिता हरण से बेला-सती तक का पूरा चरित्र वीर-रस की आल्हा शैली में वर्णन रोंगटे खडे कर देने वाला है। बीच- बीच में कवित्त, कुण्डलियों, सवैया भरे पड़े हैं। इसमें वीर-रस, श्रृंगार-रस की भरमार है। यह चरित्र पढ़कर वीरों की भुजायें फड़कने को मजबूर हो जाती हैं। साथ ही अनेकों अन्य धार्मिक चरित्र भी आल्हा की तर्ज में ही पढ़कर रोमांच हो उठता है।
आज ही कन्नौज के भारतीय वीरों का यह गौरवमयी इतिहास मंगा कर पढ़ें।